महाकुंभ में रिपोर्टिंग का गिरता स्तर: धर्म, आस्था और संस्कृति के बजाय वायरल गर्ल्स पर मीडिया का फोकस

Niharika Maheshwari
3 Min Read

महाकुंभ, जो भारत की प्राचीन संस्कृति, धर्म और आस्था का अद्भुत प्रतीक है, आज मीडिया की
अपरिपक्वता और सनसनीखेज रिपोर्टिंग का शिकार बनता जा रहा है। ऐसा लगता है कि धार्मिक
महत्ता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति मीडिया का रुझान कम होता जा रहा है, और इसका स्थान
विवादित और बेसिर-पैर के मुद्दों ने ले लिया है।

 

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय परंपराओं, वैदिक ज्ञान और अध्यात्म
का केंद्र है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह मेला करोड़ों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है
और पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस गौरवशवाली और
खूबसूरत योजन की गहराई को समझने और इसे व्यापक रूप में प्रस्तुत करने के बजाय, मीडिया और
यूट्यूबर्स सतही और विवादास्पद विषयों पर केंद्रित हो गए हैं।

वायरल गर्ल्स पर मीडिया का फोकस

हाल के दिनों में मोनलिसा और हर्षा रिचारिया जैसी वायरल हस्तियों पर मीडिया का अत्यधिक ध्यान
देखा गया है। ये शख्सियतें अपने विवादित बयानों और आकर्षक प्रस्तुतियों के कारण सोशल मीडिया
पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। रिपोर्टर्स, जो महाकुंभ में धर्म और संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर बात कर
सकते थे, अब इन वायरल ट्रेंड्स के पीछे भाग रहे हैं। धर्म के सवालों के स्थान पर यह पूछना कि
आपको वायरल होने का कैसा लगता है? आपका अगला वीडियो क्या होगा? न केवल
निराशाजनक है, बल्कि इस महान आयोजन का अपमान भी है।

रिपोर्टर्स और यूट्यूबर्स पर हो रहे हमले

इस तरह की रिपोर्टिंग और बिना सोचे-समझे सवाल पूछने के कारण कई रिपोर्टर्स और यूट्यूबर्स को
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के गुस्से का सामना करना पड़ा है। कुछ मामलों में तो बात हाथापाई तक पहुंच
गई है। आम जनता इस बात से नाराज है कि मीडिया उनकी आस्था और धार्मिक भावना का मजाक
बना रही है।

बेहतर रिपोर्टिंग की ज़रूरत

महाकुंभ जैसे आयोजनों पर रिपोर्टिंग एक जिम्मेदारी है। मीडिया को चाहिए कि वे सनसनीखेज विषयों
से हटकर धार्मिक आयोजन के महत्व, इससे जुड़ी परंपराओं, आध्यात्मिक संदेशों और सांस्कृतिक
धरोहर को प्रस्तुत करें।

श्रद्धालुओं के अनुभवों पर फोकस करें: रिपोर्टर्स को उन लाखों श्रद्धालुओं से बात करनी चाहिए,
जो कई किलोमीटर की यात्रा कर इस आयोजन में हिस्सा लेने आते हैं।

धार्मिक मान्यताओं को समझें: कुंभ की पौराणिक कथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक संदेशों
को विस्तार से दिखाना चाहिए।

आयोजन की चुनौतियों पर ध्यान दें: व्यवस्थाओं, साफ-सफाई, पर्यावरण और सुरक्षा जैसे मुद्दों को
उजागर करना भी ज़रूरी है।

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